समझ कर चांदनी जिसे
हम उजालों से नफरत करते रहें
वो आज़ किसी और की महलों की
रौनक बन बैठें हैं।
बलखाकर इठलाकर कुछ
मरमारी आवाजों में जिनके
फिरभी मेरा नाम लिपटा पड़ा है ।
दिल के किसी कोने आज भी
वह धड़कता रहा है।
है यह प्यार कोई खेल नहीं
यह जब जब भी पड़ा है
जिस जिस पर पड़ा है
बड़ा ज़ोर का फटका लगा है।
सुनामी में जिसके हर कोई
ताउम्र अटका पड़ा है और..
प्यार के बिना जिनके..
ये दिल सुखा पड़ा है...
ये दिल सुखा पड़ा है...

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




