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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

गजल - तुम नजर आई नहीं

कापीराइट गजल

रात भर ठहरी नहीं नींद आंखों में कहीं
रूठी हुई थी चांदनी चांद से जैसे कहीं

हम भटकते ही रहे नींद आंखों में लिए
तुम कहीं हम को फिर नजर आई नहीं

तेरे कदमों के निशां थे सामने मेरे मगर
हम संग उनके मगर चल नहीं पाए कहीं

रात भर ये चांद तारे मेरे संग चलते रहे
नींद आंखों में मेरी, रात भर आई नहीं

रात भर देखा किए ये राह तेरी याद में
नींद क्यूं आती भला तुम जो आई नहीं

रही ढूंढ़ती आंखें मेरी तुमको बार-बार
दूर तक कहीं मगर तुम नजर आई नहीं

चांद भी छुपता रहा यूं बादलों के बीच
औढ़ कर घूंघट नया ढ़ल रही थी चांदनी

फूलों के लबों पर गिर रही थी औस यूं
जैसे एक मुस्कान थी लबों पर छाई हुई

यादव बताते क्या हमें दास्तां ये रात की
हमें सूरत कहीं तुम्हारी नजर आई नहीं

- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

कमलकांत घिरी said

वाह क्या कमाल का गज़ल है सर जी, 👌👏🙌🙏आपको सुप्रभात सहित सादर प्रणाम 🙏🙏🙏

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद एवं सुप्रभात सहित सुसवागतम कमलकांत भाई, मगर 12 फरवरी की चार रचनाओं को न पढ़ने का जुर्माना तो भरना पड़ेगा, आपको सादर नमस्कार 🙏🙏

श्रेयसी said

वाह इस रचना पर तो एक शेर बनता है कि --- वो चाँदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है बहुत अज़ीज़ है हमें मगर पराया है कभी उतर भी आ आसमां के ज़ीने से ख़ुदा ने तुम्हें हमारे लिए बनाया है। बहुत सुंदर रचना। सुप्रभात, सादर प्रणाम लेखराम भैया 🙏🙏

Lekhram Yadav replied

वाह क्या शेर लिखा है, आजकल बहुत मजेदार शायरी करने लगी हो बहना, लगता है हमारी सोहबत का असर हो गया है, आपको बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद एवं सादर नमस्कार।

वन्दना सूद said

क्या खूब गज़ल लिखी sir 👌👌👏👏🙌🏻🙌🏻पढ़ कर वाह वाह ही कर रहे थे

Lekhram Yadav replied

आदरणीय वन्दना जी तारीफ के लिए आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद एवं आभार कल हम आपको एक गजल समर्पित करने वाले हैं, आपको सादर नमस्कार।

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