आज होगी दिवाली फिर से,
....स्वाभिमान पर आघात की,
500 वर्ष का कलंक मिटाकर,
....सनातन संस्कृति के विस्तार की,
....सनातन संस्कृति के विस्तार की,
फिर से होगी दीपमाला अवध में,
....अब रामलला फ़िर आएंगे,
आज होगी दिवाली फिर से,
....स्वाभिमान पर आघात की,
....स्वाभिमान पर आघात की,
कवि राजू वर्मा द्वारा लिखित
सर्वाधिकार अधीन है