मुर्दों की बस्ती- डॉ एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात"
मुर्दों की बस्ती,
खेल रहे कबड्डी।
जीने का अंदाज,
निराला है।
अरसा हुआ,
वक्त बदलने वाला है।
चुप चुप,
कब तक जलते रहोगे।
सिसकीयां भर भर,
कब तक दम तोड़ते रहो।
अंकी इंकी डंकी लाल,
अन्यायी और अत्याचारी।
आओ आगे बढ़ो,