एक बार त्रिलोक में, फैला था अभिमान,
राजा बली बन बैठे थे, दैत्यों के प्रधान।
यज्ञ हवन से बल बढ़ाया, देवों को हराया,
इंद्र-पद पर भी उन्होंने, अधिकार जमाया।
देव लोक जब छिन गया, हरि ने किया विचार,
धरती पर उतरे विष्णु, बाल ब्राह्मण अवतार।
बटु वेश, छोटा कद, तेजस्वी रूप सुहावन,
भगवान विष्णु ने लिया,रूप वामन।
चले बली के यज्ञ में, लेकर कमंडल हाथ,
नर-रूप में छिपा था, सारा ब्रह्म का साथ।
बोले वामन मधुर स्वर, "मुझे दान दो तीन पग,
धरती नहीं मांगता ,छोटा सा है मेरा सुख ।”
बली हँसा कह कर यही, "छोटा मांगे भाग,
तेरी वाणी में दिखता है, निर्मल प्रेम अनुराग।”
गुरु शुक्र बोले, “यह छल है, मत कर तू दान,”
बली बोला, “मैं डरूं नहीं, हो चाहे भगवान।”
पहला पग धरती पर, दूजा नभ के पार,
तीसरा पग रखने को, न बचा विस्तार।
बोले तब वामन, “कहाँ रखूं तीसरा पग बताओ?”
बली झुका और बोला, “सिर पर इसे रख जाओ।”
हरि ने दिया आशीर्वाद, “पाताल बने तेरा स्थान,
तेरी भक्ति अमर रहे, तुझे मिले सम्मान।”
बली बना भक्त महान, त्याग दिया अभिमान,
वामन ने फिर लोकों में, फैलाया धर्म का ज्ञान।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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