हमसफर होकर रहें या अजनबी तुम ही कहो,
बढ़ के थामें हाथ ये या छोड़ दें तुम ही कहो l
दिल है तुमको मानता पर रस्मे दुनिया और है,
सबसे तुमको मांग लें या चुप रहें तुम ही कहो l
अब तलक खामोश हैं जाने कब क्या बोल दें,
अपनी दे दूँ मैं जुबां या राजे दिल तुम ही कहो l
मेरे दायरे कुछ और हैं तेरी बंदिशें कुछ और हैं ,
जुस्तजू पहली कहें या आखिरी तुम ही कहो l
जाने कैसे हो गईं हैं अपनी कुर्बतो में दूरियां,
हम तुम्हें दुश्मन कहें या राजदा तुम ही कहो l
मेरी कश्ती घिर चुकी है मौजे दरिया में मगर,
डूब जायें या पुकारें तुमको हम तुम ही कहो l