फीस बढ़ाते हैं,
हर साल।
सुविधाओं का,
नामोनिशान नहीं।
स्कूल का विकास,
रुक गया है।
प्रधानाचार्य का,
बैंक बैलेंस बढ़ गया है।
कहते हैं,
शिक्षा का मंदिर है स्कूल।
लेकिन यहाँ चल रहा है,
धोखा और फूल।
मासूम बच्चों के साथ,
खिलवाड़ करते हैं।
अपनी जेब ऐ! "विख्यात "
भरने का काम करते हैं।