नन्हीं चिटियाॅं
देख कर मेहनत अथक
प्रयास थी इक भूख की
लेकर चढ़े ऊपर तलक
चीटियाॅं कुछ टूक की,
एकता की चाह क्या
सकता नहीं कुछ कर यहाॅं
चाह करने की अगर हो
झुकता नहीं क्या है जहाॅं?
आज का न भूत का
फिर क्यों जुटे कल के लिए?
क्या पता कल की कहानी
एक भी पल के लिए,
चीटियाॅं नन्हीं भले हों
सोंच छोटी थी नहीं
हम रहें भूखे भले पर
पीढ़ियाॅं होगी नहीं,
बांधते हैं पूल जो
चलते नहीं खुद वे सदा
जीवन मिला है कुछ करें
हो दूसरों का भी भला।
रचनाकार
रामवृक्ष बहादुरपुरी
अम्बेडकरनगर उत्तर प्रदेश

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




