तीन बन्दर कुछ ज्यादा ही उछल रहे हैं,
जो कुछ भी मिल रहा है सबको कुचल रहे हैं,
साथ जो मिला है शेर की खाल पहने भेड़िये का,
बिना लिखा पढ़े किये बहुत मचल रहे हैं,
हर तरफ तानाशही चला रहे हैं,
बिन बात के धमाल मचा रहे हैं,
भेड़िया भी बहुत सयाना लगता है,
बंदरों से खुद को बब्बर शेर कहता है,
कूड़े कचरे के ढेर से उठाकर कुछ कागज़,
बंदरों को थमा दिए और बन्दर हुए आस्वश्त,
कि अब ना रोकटोक है,
कि अब तो मौज ही मौज है,
कि कोई कुछ कह नहीं सकता,
साथ में बब्बर शेर है,
तथाकथित बब्बर शेर के सामने,
एक शेरनी कहीं से आगयी,
बब्बर शेर घबरा गया,
आदत से मजबूर लगा दबे पैर भागने,
बंदरों को कुछ समझ न आया,
भागते भागते बब्बर शेर का,
शेर वाला नकाब उतर आया,
बन्दर जो आस्वश्त थे,
अपने में जो मस्त थे,
थर थर काँप रहे हैं,
परिस्थिति को अच्छी तरह भांप रहे हैं,
याद आरही है उनको सब की हुयी मनमानी,
बब्बर शेर की आड़ में की हुयी बेईमानी,
कि जान आफत को आयी,
कि बचें कैसे अब भाई,
कि जग में हंसी उड़ेगी,
कि इज्जत कैसे बचेगी,
शेरनी ने एक दहाड़ लगाई,
तीनों बन्दर इधर उधर भागने लगे
जो कर रहे थे अब तक सब पर तानाशाही
----अशोक कुमार पचौरी
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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