तुम्हारे शहर का हवा पानी तुम्हारा।
पहली नजर में तुम्हारा दिल हमारा।।
तुम्हें मालूम नही आग से लाल दिल।
दूरी से हवा पाकर धधक रहा हमारा।।
संवाद की कमी से बैचैनी बढ़ने लगी।
एक दो जाम से गुजारा नही हमारा।।
पहले पलट कर देख लेती थी कभी।
कुछ तो कर सहारा बन जरा हमारा।।
शख्सियत तुम्हारी छुपी नही किसी से।
एक इशारे से कर जीना सफल हमारा।।
एहसान मानेंगे 'उपदेश' जिन्दगी भर।
सलामत बनाए रखना याराना हमारा।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद