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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

तोहमतों का बाजार देखो बड़ा चलने लगा है-ताज मोहम्मद

तोहमतों का बाजार देखो बड़ा चलने लगा है।
आदमीं ही आदमीं को अब तो खलने लगा है।।1।।

सबकी ही है अदावत यहाँ किसी ना किसी से।
बिना तपिश के ही आदमी देखो जलने लगा है।।2।।

रोक कर उससे पूंछे तो कोई उसे क्या हुआ है।
वह आदमियों से अब इतना क्यों डरने लगा है।।3।।

उसका रिश्ता तय हुआ है इक अमीर घराने से।
गरीब की आंखों में देखो सपना सजने लगा है।।4।।

अपने ही घरमें बिटिया को वहसी नजरें घेरे है।
देखो आदमी अब कितना शैतान बनने लगा है।।5।।

गरीब का लड़का पढ़ कर कलेक्टर क्या बना।
अमीरों की आँखों मे देखो वो खरकने लगा है।।6।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

+

Lekhram Yadav said

वाह ताज भाई वाह, बहुत सुंदर रचना रच डाली।

ताज मोहम्मद replied

ह्रदय से धन्यवाद।

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