तस्वीर खुद सजाया करो..
सौ रंगों से तस्वीर खुद सजाया करो,
ख्वाहिशों को ना अपने दबाया करो l
क्या हुआ ग़र ये सपने बिखर ही गए,
आंसुओं को ना आँखों में लाया करो l
जो किसी से कहा ना, दिल में रही हो,
इशारों इशारों में उसको बताया करो l
नदी का समन्दर से मिलना नियति है ,
खुद समंदर के जैसे ना बन जाया करो l
खुशी के लिए सभी यूँ करते जतन हैं,
मिलती है कैसे ये सबको बताया करो l
जब उकेरी है तस्वीर काग़ज़ पर तुमने,
रंग भरना भी खुद ही सीख जाया करो l
हमारा तुम्हारा, ये है इसका या उसका,
ऐसी बातों में खुद को ना खपाया करो l
प्रभाकर, सुधाकर फ़लक पर भले हों,
अमावस में कभी झिलमिलाया करो l
ग़म सहते सभी हैं अपने अपने तरह से,
हो सके ग़र तो ग़म उनके बंटाया करो l
जब तन्हाईयां हों, हो फ़ुरसत "विजय",
एक आवाज दे हमें तुम बुलाया करो l
विजय प्रकाश श्रीवास्तव (c)