किसी के दर्द को जब अपना दर्द समझोगे ,
यक़ीन जानिए फिर अपने रब को समझेंगे ।
नफ़रतों का कभी क्या हासिल था ,
आप दिल भी तो जीत सकते थे ।
मैल दिल में कोई नहीं रखना ,
दिल में रब का अगर बसेरा है ।
उस रब की इबादत दिल से, अगर हर शख़्स करेगा ,
इंसान से इंसान फिर कभी नफ़रत न करेगा ।
इंसानियत का एहसास भी फिर शर्मिंदा होता होगा ,
किसी का दर्द अगर तुम्हें छूकर न गुज़रता होगा ।
----डाॅ फौज़िया नसीम शाद