नंदलाल मुरलीधर, गोपियों का प्यारा।
बांसुरी की धुन में, मन मोह लिया सारा।
माखन चोरी करता, यशोदा डांटती।
मुस्कराता मासूम, छिप-छिपकर हंसती।
गोकुल में खेलता, गोपियों के साथ।
राधा के प्यार में, मग्न रहता रात-दिन।
कंस का संहार कर, धर्म की रक्षा की।
मथुरा में आनंद, बांसुरी की तान बजी।