सोच में परिवर्तन जरूरी है
संसार की चमक ऐसी है
कि खुली आँखों से भी सबको धुँधला ही नज़र आता है ।
सबको ज्ञात है कि
शायद पलक झपकने तक की ही यह ज़िंदगी हो
फिर भी आज को छोड़ भविष्य के लिए जीते हैं ..
सबका मन जानता है कि
हर कोई अपने कर्मों का ही किया भुगत रहा है
फिर भी अपने हर सुख दुख का दोष दूसरे को देता है ..
सब मानते हैं कि
भावनाओं के बन्धन ही हैं जो सब दुखों के कारण हैं
फिर भी उम्र के किसी भी पड़ाव में इस सागर में डुबकी लगाना नहीं छोड़ते ..
सब जानते हैं कि
जीवन के संघर्ष,उनका तजुर्बा और जीवन को जीने का नज़रिया सबका अलग होता है
फिर भी अपनी सोच,अपने अहम् और अपने नज़रिए से ही सबको चलाना चाहते हैं ..
जब सब कुछ सब जानते समझते हैं
तो अपने लिए परिवर्तन की राह क्यों नहीं अपनाते हैं ?
तो सत्य,दया,दान,क्षमा,समर्पण की भावना क्यों नहीं अपनाते हैं ??
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




