हर मोड़ पर तक़दीर ने मुझे ठोकर खिलाई है,
फिर भी इस तक़दीर को मेरी ज़िंदगी रास नहीं
आई है।
की कितनी ही कोशिशें मैंने मंज़िल को पाने की,
फिर भी इस तक़दीर ने हमेशा मुझे मात ही दिलाई है।
तक़दीर का हुक्म था कि तू जी वैसे जैसे चाहूॅं मैं,
मैंने तक़दीर की एक ना मानी।
और किया वही जो मैंने करना चाहा,
पर तक़दीर ने मुझे उसमें कामयाब ना होने दिया।
तक़दीर ने मेरे फैसलों में हमेशा
दख़ल अंदाज़ी की है,
जो तक़दीर में था वो मिला मुझे।
जो तक़दीर में नहीं था कि मैंने उसे भी
पाने की कोशिश,
पर तक़दीर ने पाने नहीं दिया मुझे।
💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐