सिमट गए भाव मेरे,
तेरी अंखियों के संदूक में,
पलकों के ताले लगा लो,
चुरा न ले दुनिया मयूख में,
कौस्तुभ मेरे मन का,
शब्द -मोतियों की पोटली,
और एक जोड़ी कंगन प्रीत का,
वहीं रखा है एक कोने में,
एक क्षण मेरी जीत का,
रेशम की नर्म तहों में,
छुपा कर रखें हैं तेरे मेरे ,
घंटों बिताये हीरक क्षण,
दुनियादारी का स्वर्ण नहीं,
मासूमियत की पाजेब रजत,
आऊंगी पहन कर पांवों में,
प्रिय,तेरे दिल के गाँव में,
विश्वास की चाबी तेरे हाथों में देकर,
निश्चित हो,चलूंगी जीवन की राहों में,
----रश्मि मृदुलिका