कापीराइट गजल
निकल जाता है पढ़ कर गजल हर कोई
क्यों इतनी बेरूखी से पेश आता है कोई
तुमसे क्या कहूं सावन की छाई है घटा
ये ठण्डी हवा में जल रहा है अब कोई
कमेंट कर रहे हैं यहां पर कुछ दिलजले
सिवा उनके कमेंट कहां करता है कोई
गजल पढ़ कर भी जो कमेंट करते नहीं
क्यूं इस तरह से नजरें बचाता है कोई
यहां पर शायरी करते हैं ये शायर बहुत
क्यूं कमेंट करने से अब शर्माता है कोई
ऐसे मिल जाएंगे लाखों घूमते हुए यहां
गर आ गए हो तुम कमेंट कर दो कोई
एक कमेंट करने से क्या जाएगा आपका
कमेंट आपका पाने को तरसता है कोई
अब कर रहा है यादव ये विनती आपसे
खुश होते हैं कमेंट जब करते है कोई
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है