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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

निकल जाता है पढ़ कर

कापीराइट गजल

निकल जाता है पढ़ कर गजल हर कोई
क्यों इतनी बेरूखी से पेश आता है कोई


तुमसे क्या कहूं सावन की छाई है घटा
ये ठण्डी हवा में जल रहा है अब कोई


कमेंट कर रहे हैं यहां पर कुछ दिलजले
सिवा उनके कमेंट कहां करता है कोई


गजल पढ़ कर भी जो कमेंट करते नहीं
क्यूं इस तरह से नजरें बचाता है कोई


यहां पर शायरी करते हैं ये शायर बहुत

क्यूं कमेंट करने से अब शर्माता है कोई

ऐसे मिल जाएंगे लाखों घूमते हुए यहां
गर आ गए हो तुम कमेंट कर दो कोई


एक कमेंट करने से क्या जाएगा आपका
कमेंट आपका पाने को तरसता है कोई


अब कर रहा है यादव ये विनती आपसे
खुश होते हैं कमेंट जब करते है कोई

- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

रीना कुमारी प्रजापत said

वाह! बहुत खूब... बड़े भय्या, यही ख़याल कब से हमारे मन में भी चल रहा है फ़र्क़ बस इतना है हमने कहा नहीं और आपने कह दिया। बहुत बहुत शुक्रगुज़ार हैं हम आपके जो हमारा हाल आपने बयां कर दिया...🙏

Lekhram Yadav replied

खुश रहो मेरी प्यारी बहना । जब मुझे कुछ महसूस होता है मैं उसे कागज पर उतार देता हूं। शुक्रगुजार तो मैं आपका हूं जो रोज मुझे नर्ई-नर्ई रचनाओं से प्रेरणा देती रहती हो।

रमेश चंद्र said

Bahut achaa likha...

Lekhram Yadav replied

धन्यवाद सहित नमस्कार रमेश जी

वन्दना सूद said

बहुत खूब कहा आपने 😊बस हम भी यही सोच रखते हैं और कमेंट पढ़ कर खुश हो लिया करते हैं

Lekhram Yadav replied

जी हां सभी के साथ ही ऐसा हो रहा है, मैंने तो इसे शब्दों में बयां किया है। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

Supriya sahu said

बहुत सही कहा आपने, आपको सादर प्रणाम🙏🙏

Lekhram Yadav replied

आदरणीय सुप्रिया जी, आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद एवं आभार, आपको सादर नमस्कार

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

एक सच्चाई जो कोई कह नहीं सकता। आपने समझा भी दी ,सुना भी दी। धन्यवाद जी, नमस्कार!

Lekhram Yadav replied

समदिल जी आपको अच्छा लगा मेरी खुशनसीबी और आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद, आपको सादर नमस्कार।

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