मालूम बहुत कुछ, मगर काम न आता।
सूरज निकलता रोज, रोज ढल जाता।।
रोज की आपाधापी, चलती ही रहेगी।
निर्णय से रास्ता ना मिला, खल जाता।।
आसमान साफ देखकर, घर से निकले।
सफर में बादलो का मेला, खल जाता।।
अपनी तो आदत, कुछ-कुछ कहने की।
सुनने वालो को 'उपदेश', बदल जाता।।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




