तेरी यादों में अक्सर वक्त छत पर गुज़ारा करते हैं(2)
कुछ लिखा तो कुछ गुनगुनाया करते हैं।
तेरी यादों में दिन में चैन नहीं होता
रातों में नींद नहीं होती (2)
तुझे सोचते-सोचते कब रात गुज़र जाती
ये ख़ुद हमें ख़बर नहीं होती।।
तेरी एक झलक देखने को बरसों से बेचैन थे(2)
आज वो बेचैनगी ख़त्म हो गई
आज मुलाक़ात जो तुझसे हो गई।
तेरी ममता की छांव में आज मैं सो जाना चाहती थी(2) पर तू भी मुझपर अपनी ममता लुटायेगी
तेरे मुंह से मैं ये सुनना चाहती थी।।
✍️ रीना कुमारी प्रजापत ✍️
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




