गर कुदरत से खिलवाड़ करी है,
तभी तो दुविधा आन पड़ी है,
महामारी और पर्यावरण संकट की ये विकराल घड़ी है,
अभी ना रोका तुमने इसको भविष्य में विनाश खडी है,
गर कुदरत से खिलवाड़ करी है,
तभी तो दुविधा आन पड़ी है,
अगर पेड़ों को काटा तुमने ,
जन-जन हवा को तरस रही है,
जल को व्यार्थ बहाया तुमने,
दुनिया जल संकट से जूझ रही है,
गर कुदरत से खिलवाड़ करी है,
तभी तो दुविधा आन पड़ी है,
तभी तो दुविधा आन पड़ी है,
सर्वाधिकार अधीन है