Newहैशटैग ज़िन्दगी पुस्तक के बारे में updates यहाँ से जानें।


Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat


Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.



The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

Newहैशटैग ज़िन्दगी पुस्तक के बारे में updates यहाँ से जानें।

Newसभी पाठकों एवं रचनाकारों से विनम्र निवेदन है कि बागी बानी यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करते हुए
उनके बेबाक एवं शानदार गानों को अवश्य सुनें - आपको पसंद आएं तो लाइक,शेयर एवं कमेंट करें Channel Link यहाँ है

The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

मन की टीस

मन की टीस जगाए फिर, बीते पल की याद,
ज्यों सूखे पत्तों में छिपकर, गाए कोई फ़रियाद।

चलते-चलते राह में, रुकी हुई हर बात,
धीमे-धीमे चीरती, सीने की हर घात।

अधरों पर मुस्कान थी, आँखों में इतिहास,
गहरे जख्मों की तरह, चुभती रहती प्यास।

खोए सपनों की सुई, चुभती हर उपमान,
टीस उसी की जी रहा, मन का यह अवसान।

तूफ़ानों में मन खड़ा, फिर भी टूटे साँस,
टीस बनाती वक्त को, जैसे कोई ग्रंथ-प्रकाश।

तूने जो कुछ कह न सका, वो बोझ बना अनकथ,
मन में हर दिन पलता है, पीड़ा का वह पथ।

निश्‍चल भावों की टहनी, टूट गई कुछ यूँ,
हर मौसम में टीस ने , तेरा नाम लिया ही क्यूं।

रोका था दिल ने बहुत, रुके न पर एहसास,
बिन मौसम बरसात बरसी तेरी यादों की प्यास।

खिड़की पर बैठी हुई, भरी दुपहरी धूप,
संग उसी के जाग उठे, मन के जख्म अनूप।

जितना रोका खुद को मैं, उतनी बढ़ी विकलता,
टीस ने मेरी रग-रग में, भर दी एक निरंतरता।

झूठी हँसी के खोल में, सच का रहा निवास,
मन की गहरी झील में, टीस बनी सुवास।

आँखों की कोरों में छिप, रुक जाती जो नीर,
टीस वही बन ढलती है, कविता की लकीर।

पल-पल पर मन का हर कोना, कोना हुआ उजाड़,
टीस ने लिख दी स्वयं ही, अपने भीतर दहाड़।

फिर भी मन की बातों में, आशा की एक लौ,
टीस के संग भी जलता, जीवन का संजो।

यदि न होती टीस यह, मन न होता तीक्ष्ण,
दर्द ही करता है घटित, हर कविता का दीक्ष्ण।

यादों के इस कोर में, बस एक सत्य निवास,
टीस है लेकिन भीतर ही, करती नव-उपास।

हँसते-हँसते मन कहे, अपनी मौन कहानी,
टीस बनाए रखती है, जीवन में रवानी।

चलते-चलते मैने आज , इतना जान लिया,
टीस से ही बनता है, मन का असली दिया।

अधूरेपन की इस डोर में, भावों की परवाज़,
टीस बने तो मिलती है, संवेदन की लाज़।

अंततः मन की टीस ही, बन जाती है मन्त्र,
दर्द से उपजे शब्द ही, करते हृदय को तन्त्र।

ताने-बाने जीवन के, टूटे चाहे श्वास,
टीस ही बन सरगम , भर देती उल्लास।

मन की यह झंकार ही, बने अमर-उपदेश,
टीस से ही तो जन्मे मन के, अनगिन छंद-अरवेश।




समीक्षा छोड़ने के लिए कृपया पहले रजिस्टर या लॉगिन करें

रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

सुप्रिया साहू said

Bahut sundar rachna sir 👌👌, aapko saadar pranam 🙏🙏.

डॉ अखिलेश श्रीवास्तव replied

बहुत बहुत शुक्रिया 🙏🙏

सरिता पाठक said

बहुत सुन्दर रचना टीस ही बन सरगम, भर देती उल्लास ह्रदय स्पर्शी, डॉ. सर जी को सादर नमस्कार 👌🙏

डॉ अखिलेश श्रीवास्तव replied

बहुत बहुत शुक्रिया 🙏🙏

कविताएं - शायरी - ग़ज़ल श्रेणी में अन्य रचनाऐं




लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल, शायरी, श्लोक, संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां, कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, इंग्लिश, सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।


लिखते रहिये, पढ़ते रहिये - लिखन्तु डॉट कॉम


LIKHANTU DOT COM © 2017 - 2025 लिखन्तु डॉट कॉम
Designed, Developed, Maintained & Powered By HTTPS://LETSWRITE.IN
Verified by:
Verified by Scam Adviser
   
Support Our Investors ABOUT US Feedback & Business रचना भेजें रजिस्टर लॉगिन