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कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

किसी ने उनको देखा है क्या - अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र'

किसी ने उनको देखा है क्या?,
थोड़ी सी बेचैन थीं वो कुछ,
थोड़ा मुझसे नाराज हुईं थीं,
जिनके बिन दिन नहीं था होता,
ना जाने वो कहाँ गयीं हैं,
जब से गयीं हैं रातें हीं हैं,
ना जाने मेरे दिन हैं कहाँ पर?
ना जाने वो कहाँ गयीं हैं,
रात चांदनी, दिन था उजाला
ग़ुम हैं कहीं वो, और रोशनी ,
किसी ने उनको देखा है क्या?,
शब्द थे उनके फूलों जैसे,
ग़ुम हैं उनकी बातें अब तो,
ना वो फूल हैं न वो खुशबू,
किसी ने उनको देखा है क्या?

----अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र'




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

Lekhram Yadav said

सुप्रभात सहित नमस्कार सर, माफ करना हमने आपकी 'उनको' तो नहीं देखा, मगर आपकी रचना को देखा है जो आपकी 'उनकी' तरह ही शायरी के अल्फाजों से सजी दुल्हन की तरह ही खूबसूरत है। कहो तो घूंघट उठा कर देख लूं और थोड़ा सा गुनगुना लूं।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Pratikriya ke liye bahut bahut abhaar sir ji saadar pranam 🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत said

Haaye! Aise kahan chale gaye wo.. 😊👌👌✍️🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Pata nahi mam...tabhi to puch raha hu...

वन्दना सूद said

थोड़ा सा सब्र और कर लीजिए बहुत जल्दी आपका इंतज़ार ख़त्म होगा 😊बहुत सुंदर पंक्तियाँ 👌👌👏👏यकीनन आपके भाव आपके लेखन में सजे होंगे

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Aapka bahut bahut abhaar mam..

श्रेयसी said

Bahut sundar rachnaa Ashok ji 🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Bahut bahut aabhar mam

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