मुझसे बड़ा मज़ाक़ किसी ने मेरे साथ नहीं किया,
ख़ुद ही को मिटा दिया, और कोई हाथ नहीं किया।
जिसको खुदा समझा था, वो सिर्फ़ वक़्त काटने आया,
मैंने तो इश्क़ किया, उसने कोई बात नहीं किया।
हर लफ़्ज़ को पूजा जैसे इक दुआ हो तू,
और तूने उस दुआ को भी मेरी औक़ात नहीं किया।
तेरी हँसी में खुद को रोज़ जलाया मैंने,
और तूने इस जलन को भी कभी याद नहीं किया।
तू ख़्वाब था, मगर जागने से डर गया मैं,
तू पास था, पर तूने पास होने का एहसास नहीं किया।
अब जब तन्हा हूँ तो हँसी आती है बस,
क्योंकि और किसी ने इतना ग़लत मेरे साथ नहीं किया।
अब सोचता हूँ — मुझसे बड़ा जोकर कौन होगा,
जिसने अपना ही दिल तोड़ के, उससे कोई बात नहीं किया।