गालियों के कलाम सब
चाबुक के सलाम देते हैं।।
सरे आम घर फूंकने वाले
दान में कायनात देते हैं ।।
अपनी औकात भूल पाएं ना
जुर्म की ऐसे लगाम देते हैं ।।
इतने मेहरबान है मेरे आका
पैर तराशके पायदान देते हैं।।
बस्ती में कायम अमन रखने
कातिलो को कमान देते हैं।।
"दास" उनके लिए बराबर हैं
जख्म सबको समान देते हैं।।