आज दिन बेहतर था, वैसा नहीं जैसा कल गया..
हौले हौले बगैर उनके भी, दिल मेरा संभल गया..।
दुनिया वालों से तो, मेरे त'अल्लुक़ माकूल ही थे..
वक्त बड़ा बहरूपिया था, देखते देखते छल गया..।
उनकी आंखों में देख के, अज़ब खेल मुहब्बत के..
दिल बच्चा ही था, समझाते समझाते मचल गया..।
हमने जब सफ़र पर चलने का, कुछ इंतज़ाम किया..
हमकदम और हम–सायों का, कारवां निकल गया..।
जाने इस जहाँ पर, किसी का अख़्तियार है कि नहीं..
वो देखिए आफताब से पहले, आसमां पिघल गया..।
पवन कुमार "क्षितिज"

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




