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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

एक बार कह दे

एक बार कह दे तू प्यार नहीं
नफ़रत करता है हमसे, (2)
हम घुट-घुट के जीना सीख जायेंगे ।

एक बार कह दे हमसे बात करना
अच्छा नहीं लगता तुझे, (2)
हम खुद बात करना छोड़ देंगे तुझसे।
यूं ना अंधेरे में रख हमे जो भी कहना है
आज कह दे हमे।

एक बार कह दे तेरी ज़िंदगी में हमारे कोई
मायने नहीं,(2)
तुझसे हर रिश्ता तोड़ देंगे हम।

एक बार कह दे तेरी ज़िंदगी में शामिल ही नहीं
मेरा नाम,(2)
देखना ख़ुद गुमनाम हो जायेंगे हम।
यूं ना दिलासा दे दिल को जो भी कहना है
आज कह दे हमे।

(रीना कुमारी प्रजापत)




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

फ़िज़ा said

नहीं कह सकती ऐसा कैसे कह सकती हूँ 😀😀😀 हमें तो आपकी कविताए पसंद आती हैं तो कैसे कह दे

रीना कुमारी प्रजापत replied

😃😃😃 शुक्रिया फ़िज़ा जी कि आपको मेरी कविताएं पसंद आती है बहुत बहुत धन्यवाद!

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

सुप्रभात रीना मेम - बहुत सुन्दर रचना अच्छा लगता है यहाँ आकर कवितायेँ पढ़कर ही दिन की शुरुआत होरही है आजकल!! उसमे भी आपकी कविता एक अलग मोटिवेशन देती है!!

रीना कुमारी प्रजापत replied

सुप्रभात अशोक जी, बहुत बहुत आभार आपका

Lekhram Yadav said

क्या धांसू कविता पेश की है मेरी प्यारी बहना

Lekhram Yadav said

वाह क्या बात है मेरी प्यारी बहना आज तो बगावत पर उतर आई हो, मगर प्रस्तुति बहुत सुन्दर है। मगर इसके जबाब में कल आपको मेरी एक और गजल पढ़नी होगी क्योंकि साथ हर किसी हम निभा नहीं सकते।

रीना कुमारी प्रजापत replied

जी ज़रूर आपकी ग़ज़ल का इंतज़ार रहेगा हमे, शुक्रिया

वन्दना सूद said

अच्छी रचना 👏👏

रीना कुमारी प्रजापत replied

धन्यवाद जी

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