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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

शायद तुम ऐसे ही हो

चुपके से ढल गई एक शाम—
जैसे सूरज ने थककर अपना दीप खुद बुझा दिया,
आकाश ने दीवारों-सी पलके गिरा दीं
और चाँद भी चुपचाप शोक का चादर ओढ़कर बैठ गया।

तुम चले क्या—
हवाओं ने अपने पाँव रोक लिए,
पेड़ों ने पत्तों को सहलाते हुए पूछा,
"आज यह सन्नाटा किसकी कमी बोल रहा है?"
धूप ने खिड़की पर अपना माथा रखकर रोशनी टपकाई,
मानो वो भी तुम्हें ढूँढ रही हो पसरे हुए आँगन में।

यादें—
खाली कुर्सी सा इंतज़ार करती हैं,
मेज़ की लकड़ी में दर्ज तुम्हारी हँसी अब भी सांस लेती है,
कप की किनारी पर तुम्हारी चाय की गंध
आज भी उंगलियों में चुपके से लौट आती है।

तुम न हो, पर जीवन तुम्हारे पदचिह्नों में रोज़ चलता है,
हम जैसे रेत पर नाम लिख दें
और लहरें उसे मिटा न सकें—
शायद तुम ऐसे ही हो
समय की हथेली में अंकित,
मिटकर भी न मिटने वाले।

रात कहती है—
"मैंने उसे तारों में छिपा रखा है,"
भोर जवाब देती—
"मैं उसकी आवाज़ को किरणों में ढोती हूँ।"
हर दिन कोई तत्व तुम्हारा संदेश लाता है—
कभी हवा बनकर, कभी परिंदे की पुकार में,
कभी बारिश के आंचल में भीगता हुआ।

तुम चले गए—
पर अंत नहीं हुआ,
बस कथा का पन्ना बदल गया।

अब तुम्हारी अनुपस्थिति एक गहरा संगीत है—
धीमा, पर सदा बजता हुआ;
दर्द नहीं, एक दीर्घ स्वर
जो दिल की वीणा पर थिरकता है
और सिखाता है—
जो सच में अपना हो
वो कभी जाता नहीं,
बस अदृश्य होकर और पास आ जाता है।




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

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सुभाष कुमार यादव said

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति। निश्चित रूप से प्रिय पास न हो कर भी पास है। साथ न हो कर भी सदैव साथ है। उत्तम रचना।👌👌🙏

Albeli Yadav said

बहोत सुन्दर कविता,

सुप्रिया साहू said

हमारे अपने हमें छोड़कर इस दुनिया से चले जाते हैं मगर उनकी यादें और साथ हमेशा हमारे पास रहता है, हम जहां कहीं भी अकेले पड़ जाते हैं वहां उनकी एक छोटी सी बात याद आ जाती है और हमें हिम्मत दे जाती है, बहुत खूबसूरत भावपूर्ण रचना 👌👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

रीना कुमारी प्रजापत said

Bahut sundar 🙏

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

तुम चले गए,पर अंत नहीं हुआ,बस कथा का पन्ना बदल गया है। हृदय दर्पण में दिखती वो तस्वीर जिससे हम अकेले में, अंधेरे में, नींदों में भी खुल कर बातें करते हैं।नंद किशोर जी हृदय को छू लेने वाली और प्रीत समंदर में डूबो देने वाली कविता लिखने के लिए हृदय से बधाई बधाई बधाई 👌🙏🙏

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