सर से लेकर पाँव तक तुम,
शायरी ही शायरी हो !!
प्यार से भी प्यारे हो तुम,
इस जहाँ की हुस्न परी हो !!
चाँद भी आया था मिलने,
छत पर रात को मुझसे पहले !!
ओस थे या आँसू उसके,
कुछ समझ ना आया मुझको !!
और भी हैं दीवाने तुम्हारे,
मधुबन की तुम ताज़गी हो !!
प्याले दो नैनों के तुम्हारे,
जीने की मुझमें आस जगाते !!
एक नयन मदिरालय लाता,
दूजा मुझे घर तक पहुँचाता !!
भीगे बालों को झटकाकर,
तुम ही तो बरखा लाते हो !!
- वेदव्यास मिश्र की प्रेम भरी कलम से
सर्वाधिकार अधीन है