जीवन अनमोल है ।
बच्चे अपने माता-पिता के आईना होते हैं ।
अगर उन्हें सुधारना व संवारना है तो पहले स्वयं को बदलना होगा ।
आज की बदलती दुनिया में,पहले अपने आप को ठहराव देना होगा ।
बच्चे अपने आप समझदार हो जाते तो बड़ों की उनके जीवन में ज़रूरत ही नहीं होती।
वो हमें समझें,उससे पहले हमें उन्हें समझना होगा ।
उनकी हर कमी को अपनाकर,उन्हें उससे लड़ना सिखाना होगा।
हर खूबी पर ,उनकी पीठ थपथपानी होगी।
हर कदम पर हम उनके साथ हैं यह विश्वास दिलाना होगा।
जीवन संघर्षों से घिरा होकर भी अनमोल है ,यह उन्हें समझाना होगा ।
कुछ खोना या पाना ही केवल जीवन नहीं है,
ठोकर खाकर गिरने के बाद भी खड़े होने का हुनर उनको सिखाना होगा।
-वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




