किसी के पास सोने की थाल,
कोई भूख से होता रहा बेहाल,
किसी को मेवा और मलाई,
कोई भटकता उम्र भर फटेहाल,
धन हो, न हो दोनों गरीब हैं,
सबका अपना-अपना नसीब है।
किसी की अकड़ से भरी चाल,
कोई जीवन के चाल से बदहाल,
किसी की सदा भरी रहती जेब,
कोई दाने-दाने के लिए कंगाल
सुख और दुख के दोनों करीब हैं,
सबका अपना-अपना नसीब है।
🖊️सुभाष कुमार यादव