सुनी ऐ राहें
मंझिल पुकारें
आजा मनवा काहें गभराएँ !!
कौन ऐ जाने
कहाँ ऐ ले जाएँ
काहें तेरा वजूद गभराएँ !!
दूर तलक झाँके
नज़र न कुछ आएँ
काहें बसेरा भी गभराएँ !!
चला जा बंदे आगे ही आगे
भरोसा रब का न टूटे
काहें कदम तेरे गभराएँ !!
अनजानी राहें
गले से लगाएँ
फिर काहें तूँ पीछे देख गभराएँ !!
सुनी ऐ राहें
मंझिल पुकारें
आजा मनवा काहें गभराएँ..!!!!!