उम्र भर निभाओगे ऐसा मुझ को भ्रम हुआ।
हम आईना रहे आईना ही रहेंगे ये आम हुआ।।
चेहरे पर कुछ दिल में और कुछ से फ़िक्र रही।
संग उम्मीद से शुरू अफसोस पर मातम हुआ।।
खुद को जानने का प्रयास कौन करे इस उम्र में।
इससे सुख-दुख भाव अभाव का दर्द आम हुआ।।
वो आराम से देखे गये जो पत्थर के बने रहे सदा।
मुसीबत तो एहसास वालों की हुई ये आम हुआ।।
हम किसी को बद्दुआ नही देना चाहतें 'उपदेश'।
जिसने मुझे जो दिया उसका दोगुना दाम हुआ।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद