हमने जब भी सोचा नेक ही सोचा उनके बारे में,
मगर वे हमारे इरादे नापाक समझ बैठे।
हमने जो भी कहा सच कहा उनसे,
मगर वे हमारी बातें मजाक समझ बैठे।
बाहर बह रहा पानी हमारी आंखों का था,
मगर वे उन्हें बिन बादल बरसात समझ बैठे..!
---- कमलकांत घिरी.✍️
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मगर वे हमारे इरादे नापाक समझ बैठे।
हमने जो भी कहा सच कहा उनसे,
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बाहर बह रहा पानी हमारी आंखों का था,
मगर वे उन्हें बिन बादल बरसात समझ बैठे..!
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