अनकही बातें
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मैंने अक्सर
काग़ज़ पर
अपने एहसासों को
लफ़्ज़ों से उकेरा है —
लेकर तुम्हारा ख़्याल।
तुमने पढ़ा है मुझे
दिल की गहराइयों से,
समझा है मेरे दर्द को,
छू लिया है मेरी ख़ामोशी को।
जानती हूँ मैं —
कि तुम
उन बातों को भी समझते हो
जो मैं कह नहीं पाती।
वो अनकही—
जो सिर्फ़
दिल के ज़रिये
दिल तक पहुँची है।
तुम मुझे
मुझसे ज़्यादा समझते हो।
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद