नमन वक़्त को
देखे नज़ारे उपरवाले के
न शब्द मिले कुछ कहने को
भाव समाया मन में है
पर दर्शाया नहीं वो जाता है
आया था एक पल ऐसा भी
गहरे समुंदर में हम थे फसे
डूबने की आ गई थी बारी
आज तैराक बन किनारा छूने को हैं
जी रहे हैं एक खूबसूरत हक़ीक़त
हाथ पकड़ ले चला हमें कोई
बोल तुझे कहाँ है जाना
जहाँ रखे कदम,सफल तेरी हर वो राह बना दूँ..
वन्दना सूद