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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

समय की थाली में इंसानियत का अन्न

कहते हैं — समय सब सिखा देता है,
पर हमने तो बस खोना सीखा है।
रिश्तों की मिठास,
अब डिजिटल संदेशों में घुल गई है।

चेहरे मुस्कुराते हैं, पर आँखें थकी हुई हैं,
दिलों में चाहत है, पर ज़ुबानें झूठी हुई हैं।
हर कोई कहता है — “मैं व्यस्त हूँ”,
पर कोई नहीं पूछता — “किसमें?”

हमने घर बनाए, पर अपनापन नहीं,
हमने दुनिया माप ली, पर मन नहीं।
हज़ारों फोटो खींचे,
पर एक भी याद सच्ची नहीं।

कभी किसी पेड़ के नीचे बैठो,
तो वो बताएगा — धूप कैसे सहनी होती है।
कभी किसी मजदूर को देखो,
तो समझो — रोटी कैसे कमानी होती है।

हमने गाड़ियों की रफ़्तार बढ़ा दी,
पर कदमों की दिशा खो दी।
हमने शब्दों की किताबें लिखीं,
पर सन्नाटे पढ़ना भूल गए।

कहते हैं — “समय आगे बढ़ गया”,
पर इंसान पीछे रह गया।
जिसे देखना था आत्मा से,
उसे अब स्क्रीन पर ढूँढते हैं।

कभी सोचो —
अगर एक दिन ये समय ठहर जाए,
तो क्या हम फिर भी मुस्कुरा पाएँगे?
या सिर्फ सन्नाटे में अपने नाम पुकारेंगे?

इंसानियत अब भी ज़िंदा है,
बस उसकी आवाज़ धीमी हो गई है।
जो किसी भूखे को खिलाता है,
वो इस युग का सबसे बड़ा “धनी” है।

चलो, आज कुछ देर के लिए ही सही —
समय की थाली में थोड़ा प्यार परोसें,
थोड़ी करुणा, थोड़ी संवेदना,
थोड़ी मुस्कान किसी और के हिस्से में छोड़ें।

क्योंकि जब इतिहास दोबारा लिखा जाएगा,
तो वो पद, पैसा या पहचान नहीं पूछेगा —
वो बस पूछेगा,
“क्या तुम इंसान बने रहे?”




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

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मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

इंसानियत अब भी जिंदा है,बस, उसकी आवाज धीमी पड़ गई है। वाह!! स्मिता जी, भागदौड़ भरी जिंदगी से उपजी भावनाओं की कठोरता का खूबसूरत भावमयी अर्थमयी चित्रण। बहुत खूब 👌🌹 सादर प्रणाम 🙏🌹

ललित दाधीच said

Aapne shi kaha, lekin practical world kisi bhi साहित्य ko sirf yaad rkhne tak hi सीमित रखा है। बाकी आपके जैसे विचार मुझे भी आते हैं, बहुत उम्दा 😀😀👌👌❤️❤️

रीना कुमारी प्रजापत said

वाह क्या खूब लिखा है आपने... समय की थाली में थोड़ा प्यार परोसें,
थोड़ी करुणा, थोड़ी संवेदना,
थोड़ी मुस्कान किसी और के हिस्से में छोड़ें।
लाजवाब 👌👌

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