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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

इक़बाल सिंह “राशा” की कविता “मैंने तुझे अपनी राख से गढ़ा”

मैंने
जब खुद को जलते देखा —
कोई आँधी नहीं थी,
कोई अग्नि नहीं…
बस एक धीमी-सी तपिश थी
जो भीतर ही भीतर
सब कुछ राख कर रही थी।

मैंने
अपनी ही हड्डियों से
मौन की आग जलाई,
और उस आग से
एक शब्द भी नहीं निकला।

केवल राख बची —
सफ़ेद, नर्म,
उंगलियों पर लग जाए तो
स्मृति की तरह झरने लगे।

मैंने उसी राख से
तुझे गढ़ा —
तेरे चेहरे की लकीरें,
तेरी मुस्कान की सादगी,
तेरी आँखों की वह बात
जो तूने कभी कही ही नहीं थी…

तेरे होने का हर हिस्सा
मैंने अपनी अधजली साँसों से
रचा।

कभी-कभी सोचता हूँ —
तू था भी
या सिर्फ़ मेरी कल्पना की वह तस्वीर
जो मैंने
अपने अंत से पहले
अपनी राख से बना ली थी?

अब, जब हवाएँ
वो राख भी उड़ाकर ले जा रही हैं —
मैं
तेरी तस्वीर को
साँसों में बसाए फिर रहा हूँ।

क्योंकि
जिसने खुद ही
खुद को जला लिया हो,
वो दोष दे भी तो
किसे?

वो तो बस
तेरी आँखों के उस अंश को पकड़कर
खुद को फिर से
एक ख़्वाब बनाता है।

-इक़बाल सिंह “राशा“
मनिफिट, जमशेदपुर, झारखण्ड




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Waah bahut laajwaab rachna adarneey mahoday, aapko saadar pranam 🙏🙏

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वाह, स्वयं सोना, स्वयं को तपाना और स्वयं को निखारना जीवन की खूबसूरत सच्चाई। वाह सुंदर भावपूर्ण अर्थपूर्ण रचना।👌👌🌹🙏

शिवचरण दास said

बहुत सुन्दर रचना. ..राशा सी बिल्कुल

दिनेश हरजाई said

वाह

वन्दना सूद said

केवल राख बची —
सफ़ेद, नर्म,
उंगलियों पर लग जाए तो
स्मृति की तरह झरने लगे।
🙏🙏🙌🏻🙌🏻👏👏amazing sir

सुभाष कुमार यादव said

बहुत सुंदर रचना।👌🙏

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