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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

ये बहते आंसू

सुन तो लेते हैं मगर कुछ नहीं कहते आंसू,
जाने क्या सोचते रहते हैं ये बहते आंसू।

कभी खुद पै कभी किस्मत पै कभी ईश्वर पै,
रोया करते हैं फूट-फूट के बहते आंसू।

कभी गम में कभी खुशी में या कभी यूं ही,
टपकने लगते हैं पलकों से ये बहते आंसू।

कभी-कभी तो दिल को पता भी नहीं चलता,
सूख जाते हैं आ के गालों पर बहते आंसू।

कभी सावन कभी भादों कभी महावट बन,
झर लगा देते हैं दिन-रात ये बहते आंसू।

टूटे अरमानों की लाशों पै सिर को पटक पटक,
हिचकियां ले के रोया करते हैं बहते आंसू।

मिलन के मीठे पल हो या हो घड़ी बिछड़न की,
पलकों के बांध तोड़ जाते हैं बहते आंसू।

ये बिना पांव चले आते दिल से आंखों तक,
जाने क्या कहना चाहते हैं ये बहते आंसू।

जान जब निकलती है आंखों के दरवाजों से,
बंद पलकों से ढ़रक जाते हैं बहते आंसू।

गीतकार अनिल भारद्वाज एडवोकेट हाई कोर्ट ग्वालियर मध्य प्रदेश




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

सरिता पाठक said

बिना आहट के ही आ जाते हैं ये बहते आंसू, दिल का हाल बता जाते है ये बहते आंसू, बहुत खूब, अति सुन्दर रचना👌👌

अनिल भारद्वाज एडवोकेट replied

आदरणीया सरिता जी आपने मेरी रचना की दो-दो बार बेहतरीन और लाजवाब काव्यात्मक अभिव्यक्ति अभिलिखित की है, मेरी रचना भी आपको धन्यवाद ज्ञापित कर रही है। पुनः हार्दिक आभार और धन्यवाद।

सरिता पाठक said

बहुत खूब बहुत सुन्दर रचना, बिना ही बात के आ जाते हैं, ये बहते आंसू, दिल का हाल बता जाते हैं ये बहते आंसू, 👌👌आदरणीय अनिल सर जी को सादर ननमस्कार 🙏🙏

अनिल भारद्वाज एडवोकेट replied

आपकी सुंदरतम और काव्यात्मक श्रेष्ठ समीक्षा के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया सरिता जी।

ललित दाधीच said

बहुत सुंदर रचना, आँसू का अस्तित्व है और ये ही मूल्य भी आपकी रचना में 🧡🧡🙂🙂

अनिल भारद्वाज एडवोकेट replied

आपके सुंदर शब्दों के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद ललितजी।

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वाह! अनिल जी आंसू के बहुत से स्वरूपों को एक लहर की तरह प्रस्तुत किया है आपने। कभी खुशी में कभी ग़म में, कभी मिलन में तो कभी बिछुरन में, बिना पांव अंतस से चलकर पलकों तक आ जातें हैं ये बहते आंसू।👌👌👌 चेहरे पर जो निशान होते हैं आंसुओं के, वो निशान नहीं, जुबान होते हैं आंसुओं के, कोई पढ़ने वाला तो हो, चेहरे की लिखावट को, वरना लंबी दास्तान होते हैं आंसुओं के। अनिल जी आपकी ये रचना दिल में तरंग की तरह उतर गया। लाजवाब रचना 👌👌👌 आपको सादर प्रणाम 🙏🌹

अनिल भारद्वाज एडवोकेट replied

वाह क्या बात है समदिल जी आपने मेरी रचना का जो साहित्यिक विश्लेषण किया है आपकी समीक्षा एक रचना के स्वरूप में अभिव्यक्त हुई है,उसने मुझे इसी तरह की दूसरी रचना लिखने के लिए प्रेरित किया है, बहुत-बहुत धन्यवाद श्रेष्ठ लाजवाब और बेहतरीन समीक्षा के लिए।

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