एक बार उसने मुझको निगाहों से छू लिया।
फिर उसके इंतजार में सब्र का घूंट पी लिया।।
पलकों में ख्वाब उसका हर रोज जगा देता।
कहेंगे कभी उससे अभी होठों को सी लिया।।
आँखें अचंभित होकर खोज रही इधर-उधर।
एक फर्ज मोहब्बत का अखिरकार जी लिया।।
उसके बगैर आज भी तन्हा जिन्दगी 'उपदेश'।
बसर हो रही किसी तरह गम का घूंट पी लिया।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




