सरस्वती वंदना 2
वंदन है तेरे चरणों में
हे! वीणा पुस्तक धारिणी
सात स्वरों की जननी हो
संगीत का भी तुम प्राण हो
वंदन है तेरे चरणों में
हे माला कमंडलु धारिणी
तेरे लय ताल छंद से
सृष्टि की झंकार है
कवि की रचना का मां
तुम्ही तो आधार हो
वंदन है तेरे चरणों में
हे श्वेत हंस वाहिनीं
पीली चादर तान बसंत
भी करता तेरा गुणगान है
अज्ञान का घोर अंधियारा
ज्ञान का मां प्रकाश दो
वंदन है तेरे चरणों में
हे विद्या ज्ञान दायिनी
पुष्पित पल्लवित हो जाए
काव्य की सुंदर कलियां मेरी
यही तमन्ना साकार हो
माता यही वरदान दो
वंदन है तेरे चरणों में
हे विद्या ज्ञान दायिनी
मौलिक रचना
✍️#अर्पिता पांडेय