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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

तमाम उलझनों में

तमाम उलझनों में उलझी है मेरी ज़िंदगी
एक तरफ़ अपने ख़्वाब है एक तरफ़ अपनों के ख़्वाब है,
बस इसी कश्मकश में पिघल रही है ज़िंदगी।
तमाम उलझनों में उलझी है मेरी ज़िंदगी...

इसी उलझन में उलझती जा रही है ज़िंदगी
कि एक तरफ़ करूं अपनी परवाह तो अपनों
के साथ हो जाए दगा,
एक तरफ़ अपनों की करूं परवाह तो खुद के संग
कर लूं लापरवाही
इसी उलझन में उलझती जा रही है ज़िंदगी।
तमाम उलझनों में उलझी है मेरी ज़िंदगी...

इसी परेशानी में परेशान हैं ज़िंदगी
कि ये कैसा दस्तूर है आखिर क्यों जो चाहे हम
वो हमारे अपने चाहते नहीं,
क्यों जो चाहे हमारे अपने वो हमे पसंद नहीं
इसी परेशानी में परेशान है ज़िंदगी।
तमाम उलझनों में उलझी है मेरी ज़िंदगी...

इसी बेबसी में बेबस है ज़िंदगी
खुद के ख़्वाब को दफ़्न कर
अपनों के ख़्वाबों को पूरा किया,
खुद मिट गई मेरी ज़िंदगी और
अपनों की ज़िंदगी को बना दिया
इसी बेबसी में बेबस है ज़िंदगी।
तमाम उलझनों में उलझी है मेरी ज़िंदगी...
✍️✍️ रीना कुमारी प्रजापत ✍️✍️





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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (7)

+

Bhushan Saahu said

Bahut khoob...ham aksar isi uljhan m rh jate hain. Or khud pr dyan hi nhi dete.

रीना कुमारी प्रजापत replied

धन्यवाद आपका

Komal Raju said

सत्य वचन बहन 🙏🙏 जिंदगी कहां गई है और कहां जा रही है कुछ कह नहीं सकते दो पहलुओं में पिस रही है जिंदगी

रीना कुमारी प्रजापत replied

बहुत बहुत शुक्रिया

नेत्र प्रसाद गौतम said

नमस्कार आप की ये रचना वास्तविकता से भरपूर है आप को विशेष धन्यवाद ।

रीना कुमारी प्रजापत replied

नमस्कार सर जी🙏 बहुत बहुत शुक्रिया आपका, हर किसी की ज़िंदगी की हक़ीक़त यही है

Lekhram Yadav said

मेरी प्यारी बहना नमस्कार। आपकी उलझने समझते हैं हम और उलझनों का ही दूसरा नाम जिन्दगी है, अगर उलझनें न होती तो न उन्हें सुलझाना पड़ता और न ही इस कदर हम सब परेशान होते। खैर छोड़िए, आपकी कलम बहुत सुन्दर चल रही है इसे रूकने मत देना।

रीना कुमारी प्रजापत replied

बहुत बहुत शुक्रिया भय्या🙏 दुआ करना कि ये कलम हमेशा सलामत रहे। फिर तो ये अनवरत चलती रहेगी।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut hi lazwaab peshkash, dil ko chu gayi aapki rachna, bahut umda Reena Mam. Pranam sweekar karein 🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

प्रणाम 🙏 यही तो कोशिश रहती है कि मेरी रचना सभी के दिल को छू जाए, रचना आपके दिल तक पहुंची ये मेरे लिए सौभाग्य की बात है, बहुत बहुत आभार आपका

फ़िज़ा said

बहुत सुंदर रचना जिंदगी तो हमेशा ही उलझन में रहती मगर हंसते रहिए मुस्कुराते रहिए यह सफर ऐसे ही एक दिन कट जाएगा

रीना कुमारी प्रजापत replied

शुक्रिया फ़िज़ा आपा

राजू वर्मा said

NYC

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thnx

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