दिल चाहे तेरी पनाह में साँसें अठखेलियाँ करें।
ख्वाब में मुलाकात हो खुली आँखों से बयाँ करें।।
सब्र करने का हुनर हम भी रखते आकर देखो।
अब बिगड़ने लगे हालात उसको लब बयाँ करें।।
सुलगती रही रात भर धुआँ भरता रहा सीने में।
आओगे कब बरसात करने इंतजार बयाँ करें।।
पहुँचेगी कैसे सदाएं तुम्हारे कानो तक दिलबर।
मन की मन में रह जाएगी इसे कौन बयाँ करें।।
हमारे तुम्हारे बीच ज़माना ना आएगा 'उपदेश'।
फिर सवालात कौन उठाएगा दीवारें बयाँ करें।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद