यहां वहां सारा जहां न कोई मेरा अपना है
बास तुम्हें पाने की यही मेरी सपना है
न मेरी दीवानी न मेरा दीवाना है
मैंने तो तुम से ही दिल अपना लगाना है
तुम को मैंने रुलाना नहीं हंसाना है
देखो मैंने तुम से ही घर मेरा बसाना है
मैंने जो काम करना है तुमारे लिए करना है
सारी उमर तुमारे साथ ही जीना और मरना है
सारी उमर तुमारे साथ ही जीना और मरना है.......
प्रिय प्यारी तुम से ही मेरा दर्पण है
इसी लिए ये जीवन तुम को ही समर्पण है
इसी लिए ये जीवन तुम को ही समर्पण है.......
----नेत्र प्रसाद गौतम