💕अश्कों का दरिया एक दिन
समंदर जब बन जायेगा
बन आह किसी के दिल की
शोर बनकर तुझे रुलाएगा 💕
💕तख्तो ताज तो नहीं मांगा था
अहसान फकत इतना करना
मय्यत में आकर देखना जरा
जलजला तुझे खाक कर जाएगा 💕
💕बंदा परवर मासूम सी गुजारिश है
बीता हुआ वक़्त न लौटकर आएगा
चार दिन के बाद तुझे भी देखना
अक्स मोह्हबत का नजर आएगा,💕
----वर्षा वार्ष्णेय
[अलीगढ़]