ये शख्स! कब से मुझे बर्दाश्त करे।
छोड़ती हूँ तुझे जा और ईजाद करे।।
चाहती अब भी मगर दूरी नही घटी।
दूरी और बढ़ाने के लिए आजाद करे।।
मेरे अलावा और कोई रास आए तुझे।
खुदा के फ़ज़ल से वो तुझे बर्बाद करे।।
रूमानियत का रिश्ता टूटेगा न 'उपदेश'।
तेरी जब इच्छा करे मुझको याद करे।।
ख्वाब में हर वक्त तुम्हारे ही साथ रहीं।
और तूँ बदल कर रूप फ़रियाद करे।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद