दूरदर्शन - क्रांति के इस दौर में,
प्रयोगशालाएं विकसित हो गईं,
वैमनस्य की मुफ्त प्रशिक्षणस्थली ,
जहाँ में खुलेआम व्यक्त हो गई ,
टीवी डिबेट महाभारतीय युद्ध,
साक्षात निकट-दर्शन करा गई,
जोश-होश-मान-मर्यादा-संस्कार,
दिग्भ्रमित-कालकोठरी में खो गईं !
✒️राजेश कुमार कौशल