कापीराइट गजल
रोज खिलता हूं
रोज, खिल जाता हूं, इन फूलों की तरह
मिलता हूं मैं सबसे, इन फूलों की तरह
सजाता, हूं नए ख्वाब, मैं रोज रातों में
उङ, जाते हैं हवा में, ये झूलों की तरह
जब चाहा दिल ने तुम से मिलना प्रिये
गुम हो गई ये चाहत, उजालों की तरह
लिखता हूं तेरा नाम ये रेत पे बार-बार
उङा, देती है यह हवाएं, धूलों की तरह
रुलाती हैं ये अक्सर तेरी यादें मुझ को
जैसे आती है ये खुशबू, फूलों की तरह
मचलता है दिल, तस्वीर देख कर तेरी
जैसे यादों के सावन में झूलों की तरह
तुम, ऐसी बसी हो, मेरे दिल में यादव
जैसे बस गई हो खुशबू फूलों की तरह
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
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