कापीराइट गजल
जब नई नवेली दुल्हन जैसी वो सज कर सामने आई
महिला दिवस की सबको दे दें हम मिल कर आज बधाई
मां बहन बेटी बन कर वो आती है सबके जीवन में
हर मौके पर सम्मान करो सब मिल के लोग-लुगाई
इतनी प्यारी-प्यारी है वो मन्दिर की मूरत लगती है
मिट जाती है गोद में उसकी ये हर गम की परछाई
उसके प्यार में स्वर्ग बसा है, मिलता है सुख मनमाना
मैंने जब-जब दर्द में यारो, घायल हो कर ठोकर खाई
जीवन में रस रंग कहां इस दुनियां में बिन औरत के
यूं बजती है संग-संग उसके, इस जीवन में शहनाई
मां होती है प्यार का सागर, सबके सुख और दुख में
हमें बेटी और बहन ने मिल कर, एक राह नई दिखलाई
औरत में ही बसती है यह, प्यारी दुनियां हम सब की
उसके बिना धरा पर कुछ भी कहीं देता नहीं दिखाई
उससे बङी मिसाल नहीं, त्याग दया और ममता की
आओ मिल कर सम्मान करें जिसने ये दुनियां बसाई
तुम छोटी-छोटी बातों पर, अपने दिल पर रखो काबू
तुम दोगे हक नारी को अगर, गूंजेगी घर में शहनाई
थम गई हैं ये सांसें मेरी जब नारी को हक मिला नहीं
हर, औरत का, सम्मान करो तुम, यादव के संग भाई
सर्वाधिकार अधीन है