रोग निरोग करे तन को
शुद्ध विशुद्ध करें मन को
यह देशी अमृत का प्याला है
खा खा कर तोंद फूला
निकल रहा दिवाला है।
रहना है स्वस्थ सात्विक
तो योग को अपनाना है।
विश्व में देखो बज़ रहा
चाहूं ओर योग का डंका है।
आलस भगाए तन मन को
जगाए यह अमृत का प्याला है।
राजा हो या रंक कोई भी
सबके लिए वरदान है योग
भारत के ऋषि मुनियों की
सतत् अभ्यास की ख़ोज है योग।
बनाए शतायु करे दीर्घायु
सफ़ल सजग बनाता है।
करता है जो योग नित्य
वह हिष्ट पुष्ट आकर्षक शरीर पता है।
जीवन की सारी रंगीनियां
खुशियां सब कुछ पा लेता है।
है योग जो तुम करो थोड़ा भी
प्रयोग यह यह जीवन स्वर्ग बनाता है।
बूढ़ों को ज़वान कर दे
ज़वान को रॉकेट बना दे
बच्चे को भी ज़वान कर दे
यह बड़ा हीं काम आता है।
योग से तो यारों देश का अपना
बड़ा हीं पुराना नाता है।
थोड़ी सी भी तुम योग कर लो
इसमें कोई नुकसान नहीं
है यह तरक्की प्रगति की चाभी
इसके जैसे दूजा यन्त्र नहीं।
जीवन की सच्चाई यही है
यारों ये योग तो बड़ी सही है।
फलतः रोज़ योग करो मौज
रोज़ योग करो मौज....